Thursday, March 14, 2024

 

 

किसी के आने की आहट, जाने के बाद आती है,
नहीं एकाध मंजर, साथ सब तादाद आती है,
जला कर दिल को जाड़े में, कभी जब बैठता हूँ मैं,
छुवन सी आँच लगती है, तुम्हारी याद आती है ;

 

Monday, February 19, 2024

 

 

जो लिखा उसे  'पुरानी स्याही' नाम दे दिया है,
भावों को मन की सराय में विश्राम दे दिया है,
करने लगे हैं शब्द जब से, घाव कोरे कागज़ों पर,
तब से हमने कलम को आराम दे दिया है;

 

Tuesday, November 28, 2023

मोड़ने से राह मुड़ जाए अगर, तो मोड़ दो,
​गाँठ को समतल बना पाओ अगर, तो जोड़ दो,
यूँ ही नीरज आस को कब तलक ढोते रहोगे,
छोड़ने से छूट जाता है अगर, तो छोड़ दो;

 

 


 

Friday, October 27, 2023

 

 

छोड़ना मुमकिन नहीं है,
वो भी जो हासिल नहीं है,
ख़्वाहिशों का इक पुलिंदा,
पूर्ण लेकिन कुछ नहीं है;

रात की ठहरी सी आशा,
रोज़ दिन रहता है प्यासा,
मरु सरीखी ज़िंदगी में,
क्यों है बाकी यह पिपासा; 

​क्या जवानी क्या लड़कपन,
दे दिया जितना भी था मन,
प्रेम लेकिन मिला जैसे,
ओस का अधजिया जीवन ;

 

Wednesday, October 18, 2023

 

इन दिनों कोई नहीं बुलाता हमें,
जैसे तुम बुलाते थे,
कोई और नहीं बताता हमें,
जैसे तुम बताते थे;

इन दिनों कोई नहीं जानता हमें,
जैसे तुम जानते थे,
कोई और मानता नहीं,
जैसे तुम मानते थे;

इन दिनों कोई नहीं है,
न बात करने को, न बात कहने को,
वो बात जो हम अक्सर करते थे,
जो सिर्फ हम समझते थे;

तुम्हारी चुप्पी,
शायद मनमर्ज़ी नहीं है,
नाजायज़ तो बिलकुल नहीं,
पर चुप्पी तो है ;

 

Wednesday, September 20, 2023

 

 

जब निकले हों हम तय करने,
किसी सड़क पर लम्बी दूरी,
चाहे थकन निरंतर टोके,
​पर चलना हो बहुत ज़रूरी;

ऐसे में यदि उसी सड़क पर,
लग जाए कोई ट्रैफिक जाम,
आगे पीछे दाएं बाएं,
जब हो जाएं बंद मुकाम;

तब गाड़ी में बैठे बैठे,
मज़बूरी कुछ यूँ घुलती है,
कितनी भी हो दौलत पास,
कोई राह नहीं खुलती है;

कोस कोस कर इस स्थिति को,
तब हम हैं थोड़ा पछताते,
बिना किसी आशा के फिर भी,
इधर उधर हैं फ़ोन घुमाते;

ढेरों प्रश्न हैं खुद से करते,
ऐसा कर दें ! क्या विचार है,
जब कि हम हैं स्वयं जानते,
उत्तर केवल इंतज़ार है;

तब समझौता कर लेते हैं,
जब कुछ समय बीत जाता है,
जो होगा देखा जाएगा,
मन फिर कुछ धीरज पाता है;

पर हमने क्या सोचा ऐसा,
जैसे दिल की कोई धड़क है,
दिखती नहीं किसी को लेकिन,
यह जीवन भी एक सड़क है;

कभी कभी इस जीवन में भी,
लग जाता है ट्रैफिक जाम,
आगे पीछे दाएं बाएं,
नहीं सूझता कोई मुकाम;

ढेरों प्रश्न हैं खुद से करते,
ऐसा कर दें ! क्या विचार है,
जब कि हम हैं स्वयं जानते,
उत्तर केवल इंतज़ार है;

 

 

Sunday, September 3, 2023

 

किसी ज़िद्दी से पौधे का,
टूट कर भी सांस लेना,
और उसी जगह पर,
बार बार उग जाना;
किसी का रुक कर चले जाना,
या जाकर फिर नहीं आना,
या परिचित से पथ पर,
न रहते हुए भी समझाना;
किसी का दिन की व्यस्तता में,
धुंधला हो जाना,
पर गोधूलि में,
अनायास छलक आना;
यही बताता है,
कि हम भावों से,
कभी रिक्त नहीं होते,
कोशिशों के बाद भी,
इससे अतिरिक्त नहीं होते;

उम्र की दोपहर बीत गयी,
तब जाकर ये जाना,
कि जज़्बातों के,
पैग़ाम नहीं होते,
परिणाम भी नहीं होते,
अवकाश होते हैं शायद,
पर आयाम नहीं होते।